ग्रीन हाइड्रोजन को बढ़ावा देंगी सरकारी कंपनियां औद्योगिक क्षेत्र में ग्रीन हाइड्रोजन के जरिये बड़ी क्रांति के लिए सरकार सौंपेगी नए दायित्व
ग्रीन हाइड्रोजन के इस्तेमाल को बढ़ावा देने के लिए केंद्र सरकार अपनी मंशा जता चुकी है। अब इसे एक औद्योगिक सेक्टर के बीच एक बड़ी क्रांति के तौर पर ले जाने की तैयारी है। इस काम में सरकारी कंपनियां एक अग्रणी भूमिका निभाएंगी। इंडियन आयल, गेल लिमिटेड, एनटीपीसी ने इस बात के संकेत दिए हैं कि उनकी भावी कारपोरेट रणनीति में ग्रीन हाइड्रोजन का स्थान बहुत ही अहम होगा। अब सरकार इन्हें व दूसरी सरकारी कंपनियों को कुछ बड़े दायित्व भी सौंपने जा रही है। इसमें एक बड़ा दायित्व यह होगा कि देश की हर तेल सेक्टर की कंपनी के पास ग्रीन हाइड्रोजन से चलने वाला अपना माल ढुलाई करने वाला पानी का जहाज होगा। इसके अलावा देश के हर बड़े बंदरगाह में अगले सात से आठ वर्षों के भीतर हाइड्रोजन व ग्रीन अमोनिया को देश की प्रत्येक सरकारी तेल कंपनी को ग्रीन हाइड्रोजन से चलने वाला जहाज खरीदना होगा ।
ग्रीन हाइड्रोजन का इस्तेमाल बढ़ने से 2070 तक नेट जीरो लक्ष्य हासिल करने में मदद मिलेगी
स्टोरेज में रखने की भी व्यवस्था करनी होगी। सरकारी सूत्रों का कहना है कि ग्रीन हाइड्रोजन देश की एक बड़ी रणनीतिक जरूरत होगी। यह भविष्य में न सिर्फ वर्ष 2070 तक देश के लिए तय नेट जीरो लक्ष्य को हासिल करने में अहम भूमिका निभाएगी बल्कि भारत को एक ऊर्जा आयातक देश से ऊर्जा निर्यातक देश में तब्दील ।
19,800 करोड़ की योजना को मंजूरी देश की सबसे बड़ी ऊर्जा कंपनी एनटीपीसी भी ग्रीन हाइड्रोजन को लेकर काफी महत्वाकांक्षी योजना रखती है। इन सब कंपनियों को अब और ज्यादा संगठित तौर पर आगे बढ़ना होगा। सरकार ने इस महीने ग्रीन हाइड्रोजन को प्रोत्साहन देने के लिए 19,800 करोड़ रुपये की योजना को मंजूरी दी है। इसका मकसद देश में 50 लाख टन ग्रीन हाइड्रोजन का उत्पादन करना है। माना जा रहा है कि आगामी बजट में भी वित्त मंत्री ग्रीन हाइड्रोजन को प्रोत्साहन के लिए मौजूदा आवंटन को और बढ़ाएंगी।
इस वजह से सरकार हर चीज निजी सेक्टर के हाथों में नहीं छोड़ना चाहती । सरकारी कंपनियों को आगे लाने के पीछे एक मकसद यह भी है कि देश में ग्रीन हाइड्रोजन की आधारभूत ढांचा तैयार किया जा सके और इसकी उपलब्धता व मांग को स्थापित किया जा सके। इसलिए इंडियन आयल (आइओसी), गेल लिमिटेड व ओएनजीसी को बड़ी भूमिका निभानी है। चूंकि, अभी देश के ऊर्जा सेक्टर व उर्वरक सेक्टर में काफी ज्यादा ग्रे हाइड्रोजन (गैस से बनने वाली हाइड्रोजन) का इस्तेमाल किया जाता है और दोनों सेक्टरों में सरकारी कंपनियों का काफी बोलबाला है। यह भी एक वजह है कि इन दोनों सेक्टरों की सरकारी कंपनियों पर ज्यादा दबाव बनाया जाएगा।
मथुरा में पहला ग्रीन हाइड्रोजन संयंत्र लगाएगी आइओसी: जहाजरानी कंपनी शिपिंग कारपोरेशन आफ इंडिया को भी कहा गया है कि 2027 तक उसे ग्रीन हाइड्रोजन से चलने वाले दो जहाज तैयार करने हैं। सरकारी तेल व ऊर्जा कंपनियों को कहा गया है कि वो अपना ग्रीन हाइड्रोजन से चलने वाला जहाज खरीदें या फिर वर्ष 2027 से माल ढुलाई के लिए ग्रीन हाइड्रोजन से चलने वाले जहाज को किराये पर लें। आइओसी ने हाल ही में ग्रीन हाइड्रोजन के क्षेत्र में कुछ महत्वाकांक्षी योजनाओं का एलान किया है। इसमें मथुरा रिफाइनरी में देश का पहला ग्रीन हाइड्रोजन संयंत्र लगाने एलान भी शामिल है। आइओसी ने निजी सेक्टर की दो कंपनियों एलएंडटी और रिन्यू के साथ ग्रीन हाइड्रोजन आपूर्ति का समझौता भी किया है। गेल ने मध्य प्रदेश में ग्रीन हाइड्रोजन का एक बड़ा प्लांट लगाने की घोषणा की है।