कई बार समाचारों में सुना और पढ़ा है कि किसी व्यक्ति को हार्ट अटैक आया है या हार्ट फेलियर हुआ है। ऐसे में कई बार हमारे दिमाग में प्रश्न उठता है कि आखिर इन दोनों में क्या फर्क है? यह दोनों ही ऐसी मेडिकल कंडीशन हैं जिनका सही समय पर उपचार न किया जाए तो ये आपकी सेहत के लिए बेहद घातक होती हैं।
क्या है हार्ट अटैक
हार्ट अटैक को ‘मायोकार्डियल इंफार्कसन’ भी कहते है। हार्ट अटैक का प्रमुख कारण है दिल को पर्याप्त मात्रा में खून की सप्लाई का ना होना। इसका मतलब है कि दिल की मांसपेशियों को जीवित रहने के लिए जितनी ऑक्सीजन की आवश्यकता है उसे उतनी ऑक्सीजन नहीं मिल रही है।
क्या है हार्ट फेलियर
हार्ट फेलियर ऐसी स्थिति है, जिसमें दिल ठीक से काम नहीं करता है। इसे दूसरे शब्दों में कहें तो इसमें हमारे दिल की खून को पंप करने की क्षमता में कमी आ जाती है। दिल का काम हमारे शरीर के भिन्न-भिन्न अंगों तक खून की सप्लाई को पहुंचाना है।
हार्ट अटैक के प्रमुख कारण
- शारीरिक गतिविधि में कमी
- खराब खान-पान की आदतें
- हाई ब्लड-प्रेशर
- शुगर
- दिल की धमनी के रोग
- हार्ट अटैक का पारिवारिक इतिहास
हार्ट फेलियर के कारण
- हार्ट वाल्व का क्षतिग्रस्त होना
- नींद में सांस का टूटना यानी स्लीप एप्निया
- मधुमेह
- फेफड़ों में रक्त का थक्का जमना
- दिल की मांसपेशियों में सूजन
- सिगरेट और शराब
क्या है इलाज संभव है ?
हार्ट अटैक आने पर डॉक्टर तुरंत एंजियोप्लास्टी करके ब्लॉकेज को साफ कर देते हैं, जिससे हमारे दिल तक खून का संचार ठीक हो जाता है। इससे दिल की मांसपेशियों तक ऑक्सीजन का प्रवाह अच्छी तरह होता है तथा हार्ट फेलियर को ठीक करने के लिए कुछ विशेष दवाओं का इस्तेमाल किया जाता है, इन दवाओं से हमारे ब्लड प्रेशर को नियंत्रित करके घटाया जाता है और रक्त संचरण को ठीक करने की दवाएं दी जाती हैं जिसे ACE इनहिबिटर कहा जाता है। जिससे व्यक्ति की मौत नहीं होती है।