वित्त वर्ष 2021-22 में यह 119.5 बिलियन डॉलर था, जबकि 2020-21 में ये 80.51 अरब डॉलर पर था. आंकड़ों के अनुसार, 2022-23 में भारत से अमेरिका में निर्यात 2.81 फीसदी बढ़कर 78.31 बिलियन डॉलर हो गया, जबकि 2021-22 में यह 76.18 बिलियन डॉलर था. वहीं, आयात लगभग 16 फीसदी बढ़कर 50.24 बिलियन डॉलर हो गया.
भारत-चीन के बीच घटा व्यपार
चीन के साथ भारत का द्विपक्षीय व्यापार 2021-22 के 115.42 बिलियन डॉलर के मुकाबले लगभग 1.5 फीसदी घटकर 113.83 बिलियन डॉलर पर आ गया. 2022-23 में भारत से चीन के लिए निर्यात लगभग 28 प्रतिशत घटकर 15.32 अरब डॉलर रह गया, जबकि पिछले वित्त वर्ष में आयात 4.16 प्रतिशत बढ़कर 98.51 अरब डॉलर हो गया. 2021-22 में 72.91 बिलियन डॉलर के मुकाबले पिछले वित्त वर्ष में ट्रेड घाटा बढ़कर 83.2 बिलियन डॉलर हो गया.
भारत-अमेरिका के बीच जारी व्यपार
अमेरिका के साथ भारत का द्विपक्षीय व्यापार बढ़ने का सिलसिला आने वाले वर्षों में भी जारी रहेगा. क्योंकि दोनों देशों की सरकारें आर्थिक संबंधों को मजबूत करने में जुटी हैं. फेडरेशन ऑफ इंडियन एक्सपोर्ट ऑर्गनाइजेशन (FIEO) के प्रसिडेंट ए शक्तिवेल ने कहा कि फार्मास्युटिकल, इंजीनियरिंग, रत्न और आभूषण जैसे सामानों के बढ़ते निर्यात से भारत को अमेरिका में अपने शिपमेंट को आगे बढ़ाने में मदद मिल रही है.
इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ प्लांटेशन मैनेजमेंट (IIPM), बैंगलोर के निदेशक राकेश मोहन जोशी ने कहा कि भारत अमेरिका के लिए व्यापार के बड़े अवसर प्रदान करता है. क्योंकि भारत दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा उपभोक्ता बाजार और सबसे तेजी से बढ़ती बाजार अर्थव्यवस्था है.
आंकड़ों से पता चला कि चीन 2013-14 से 2017-18 तक और 2020-21 में भी भारत का शीर्ष व्यापारिक भागीदार था. चीन से पहले यूएई देश का सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार था. 2022-23 में 76.16 बिलियन डॉलर के साथ संयुक्त अरब अमीरात भारत का तीसरा सबसे बड़ा व्यापारिक भागीदार रहा. इसके बाद सऊदी अरब (52.72 अरब डॉलर) और सिंगापुर (35.55 अरब डॉलर) का नंबर आता है.